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पब्लिक में ज़रा हाथ मिला लीजिए मुझ से
साहब मिरे ईमान की क़ीमत है तो ये है
तुम उस के पास हो जिस को तुम्हारी चाह न थी
कहाँ पे प्यास थी दरिया कहाँ बनाया गया
वो कुछ पल जिन की ठंडी छाँव में तुम हो हमारे
वही कुछ पल तो जीवन-भर का हासिल हो गए हैं
“हम तो अब सिर्फ़ यादों में ही मिल सकते हैं,
तुमसे मिलने की हसरत अब ख़त्म हो गई है।”
मोहब्बत तर्क की मैं ने गरेबाँ सी लिया मैं ने
ज़माने अब तो ख़ुश हो ज़हर ये भी पी लिया मैं ने
More Shayari
Motivational Shayari

औक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में,
नज़र आती है उनको अपनी मंजिल आसमानों में।
~ अज्ञात

औक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में,
नज़र आती है उनको अपनी मंजिल आसमानों में।
~ अज्ञात
हमेशा अपनी नजरें उस पर रखो जिसे तुम पाना चाहते हो,
उस पर नहीं जिसे तुम खो चुके हो।

औक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में,
नज़र आती है उनको अपनी मंजिल आसमानों में।
~ अज्ञात
हिज्र को हौसला और वस्ल को फ़ुर्सत दरकार
इक मोहब्बत के लिए एक जवानी कम है

औक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में,
नज़र आती है उनको अपनी मंजिल आसमानों में।
~ अज्ञात
चुप रह के गुफ़्तुगू ही से पड़ता है तफ़रक़े
होते हैं दोनो होंट जुदा इक सदा के साथ
Festival Shayari

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो
मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो
~ जौन-एलिया
तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो
मुस्कान के सिवा कुछ न लाया कर अपने चेहरे पर मेरी फिक्र हार जाती है तेरी मायूसी देखकर।
“दुनिया की सारी ख़ुशी मिले आपको, ऊपरवाला हर कामयाबी दे आपको, हम हर पल दुवा तो करते है आपको, फिर भी, जन्मदिन की शुभकामनाएं हो आपको।”

ग़म सीं अहल-ए-बैत के जी तो तिरा कुढ़ता नहीं
यूँ अबस पढ़ता फिरा जो मर्सिया तो क्या हुआ
~ Aabru Shah Mubarak
ग़म सीं अहल-ए-बैत के जी तो तिरा कुढ़ता नहीं यूँ अबस पढ़ता फिरा जो मर्सिया तो क्या हुआ
Funny Shayari

हमने तो फिराई थी रेतो पर उंगलिया,
मुड़ कर देखा तो तुम्हारी “तस्वीर” बन गयी……!!!
~ अज्ञात
हमने तो फिराई थी रेतो पर उंगलिया, मुड़ कर देखा तो तुम्हारी “तस्वीर” बन गयी……!!!

हर सागर के दो किनारे होते है,
कुछ लोग जान से भी प्यारे होते है,
ये ज़रूरी नहीं हर कोई पास हो,
क्योंकी जिंदगी में यादों के भी सहारे होते है……!!!
~ अज्ञात
हर सागर के दो किनारे होते है, कुछ लोग जान से भी प्यारे होते है, ये ज़रूरी नहीं हर कोई पास हो, क्योंकी जिंदगी में यादों के भी सहारे होते है……!!!

दुनिया को खुशी चाहिए,
और मुझे हर खुशी में तुम !
~ अज्ञात
दुनिया को खुशी चाहिए, और मुझे हर खुशी में तुम !

अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लो
न छेड़ूँगा मैं जैसी चाहे तुम मुझ से क़सम ले लो
~ अमीर मीनाई
अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लो न छेड़ूँगा मैं जैसी चाहे तुम मुझ से क़सम ले लो

दिल में है जो बात किसी भी तरह कह डालिए,
ज़िन्दगी ही ना बीत जाए कहीं बताने मे………..!!!
~ अज्ञात
दिल में है जो बात किसी भी तरह कह डालिए, ज़िन्दगी ही ना बीत जाए कहीं बताने मे………..!!!
अज्ञात
रोने लगता हूँ मोहब्बत में तो कहता है कोई क्या तिरे अश्कों से ये जंगल हरा हो जाएगा
View Shayariअज्ञात
“कभी-कभी दिल को इस बात का एहसास ही नहीं होता कि जिसे हम चाह रहे हैं, वो हमारा नहीं है।”
View Shayariअज्ञात
आंखों में आंसू और दिल में दर्द लिए, हम आज भी तुम्हारे बिना जी रहे हैं।
View Shayariअज्ञात
“दिल से जिसे चाहा, उसी ने दिल तोड़ दिया, अब दिल को भी इस खेल का आदी बना लिया।”
View Shayariअज्ञात
वो मोहब्बत जो अधूरी रह गई थी, उसका दर्द आज भी मेरे दिल में जिन्दा है।
View ShayariFiraq Gorakhpuri
तुझ को पा कर भी न कम हो सकी बे-ताबी-ए-दिल इतना आसान तिरे इश्क़ का ग़म था ही नहीं
View Shayariबेवफा की छाया में, जिंदगी कटती रही,
बेवफा की छाया में, जिंदगी कटती रही, तेरी बेवफाई में, हर खुशी खोती रही।
अज्ञातन मुदारात हमारी न अदू से नफ़रत
न मुदारात हमारी न अदू से नफ़रत न वफ़ा ही तुम्हें आई न जफ़ा ही आई
बेखुद बदायुनीकाश कोई अपना संभाल ले मुझको,
काश कोई अपना संभाल ले मुझको, बहुत कम बचा हूँ बिल्कुल दिसम्बर की तरह…!!
अज्ञातजब से तेरी बेवफ़ाई की ख़बर मिली,
जब से तेरी बेवफ़ाई की ख़बर मिली, दिल में ज़हर की तरह तेरी याद समाई है…!!
अज्ञातयूं मुझे छोड़ कर जाने की,
यूं मुझे छोड़ कर जाने की, कोई एक वजह तो बता देते, मुझसे नाराज थे या फिर, तुम्हारी जिंदगी में मेरे जैसे बहुत थे…!!
अज्ञातबेवफाई का आलम यह है कि हर रात तेरी याद में आँसू बहाता हूँ।
बेवफाई का आलम यह है कि हर रात तेरी याद में आँसू बहाता हूँ।
अज्ञातमुझको बेवफा कहने वाले खुदा करे तुझे भी,
मुझको बेवफा कहने वाले खुदा करे तुझे भी, तुझसा ही वफादार मिले…!!
अज्ञात
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हर दिन नई शायरी का आनंद लें। आपकी भावनाओं के लिए हमारे पास हर शब्द है।
Some Facts
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68%
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Writing Shayari as a journaling exercise improved emotional intelligence by 25% in individuals over a six-month period.
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शायरी क्यों खास है:
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Top Categories
❤️ अपनी भावनाओं को शायरी में ढालें ❤️
शायरी, वो कला है जो दिल से निकल कर सीधे दिल तक पहुंचती है। हर शब्द में छुपा है अनकही कहानियों का खजाना। आइए, अपने जज़्बातों को खूबसूरत अल्फाज़ों में बदलें।

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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"